इस देश क़ी अवस्था बहुत ही गंभीर है | इस देश में सत्य ,ईमानदारी और न्याय क़ी बड़ी ही दर्दनाक अवस्था है जिससे इंसानियत मरती जा रही है |
इस देश का राष्ट्रपति वैसे कहने को तो इस देश का प्रमुख सेनापति है और तीनों सेना पर उसका नियंत्रण है ,लेकिन जमीनी हकीकत यह है क़ी शोर्य चक्र विजेता कैप्टेन सुमित कोहली क़ी संदेहास्पद अवस्था में मृत्यु 2006 में हुयी थी | आज चार साल से भी ज्यादा हो जाने के बाद भी कैप्टेन सुमित कोहली के पूरे परिवार तथा NDTV INDIA जैसे अन्य मिडिया के लगातार प्रयास के बाद भी इस संदेहास्पद मृत्यु की जाँच को ईमानदारी से पूरा नहीं किया जा सका है |
इससे जाहिर होता है की इस देश में सेना में भ्रष्टाचार और कुव्यवस्था का क्या हाल है | अनुशासन की जगह सेना में अनुशासन हीनता का सम्राज्य स्थापित होता जा रहा है और सर्वोच्च सेनापति को उसकी कोई चिंता ही नहीं और कड़ोरों रुपया इस सेनापति पे बहाया जा रहा है ,जिसकी शायद कोई जरूरत नहीं है |
इसलिए अब इस बहस को जन्म देने की जरूरत है की क्या राष्ट्रपति का पद इस देश के लिए जरूरी है और इस पद पर जनता के टेक्स का जो पैसा खर्च हो रहा है उसकी उपयोगिता क्या है ?
हमारे नजर में तो इस देश में राष्ट्रपति पे होने वाला खर्च वर्तमान में राष्ट्रपति के पद पर बैठे व्यक्ति की गतिविधियों और देश हित में किये गये उनके प्रयास के मद्दे नजर व्यर्थ ही नजर आता है |
इसलिए हमारे ख्याल से इस पद को समाप्त कर राष्ट्रपति भवन को पूरे देश के जनता द्वारा डाक से भेजे गये मतों द्वारा चुने गये एक सर्वोच्च लोकायुक्त के कार्यालय के रूप में बना दिया जाना चाहिए | जिसे सत्य और न्याय की रक्षा के लिए असीमित शक्ति प्रदान की जाय | इस लोकायुक्त को प्रधानमंत्री के ऊपर लगे किसी आरोप या शिकायत पर सुनवाई कर उसे सजा देने तक का अधिकार हो तथा देश का कोई भी नागरिक किसी भी IAS ,IPS और यहाँ तक की सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से सम्बंधित शिकायत को यहाँ दर्ज करा सके | देश की सभी जाँच एजेंसियां दिये गये समय में इसके निर्देशों पर जाँच को पूरी करने के लिए बाध्य हो |
इस लोकायुक्त के सहायता के लिए बीस सदस्यों की एक टीम हो जिसमे पाँच इमानदार सेवानिवृत जज,पाँच श्री अन्ना हजारे जैसे समाज सेवक ,पाँच इमानदार नागरिक तथा पाँच सेवा निवृत श्रीमती किरण बेदी जैसे इमानदार IPS अधिकारी शामिल हो |
अगर ऐसा किया जाय तो राष्ट्रपति भवन तथा उसपे होने वाले खर्चों की सही मायने में उपयोगिता नजर तो आएगी ही साथ-साथ सत्य,न्याय और ईमानदारी को पुनः स्थापित करने में मदद मिलेगी जिससे एक इमानदार नागरिक या एक इमानदार कैप्टेन के मां को न्याय के लिए सालों इंतजार ना करना परे और इस देश के लोगों को महसूस हो की हम एक ऐसे देश में रह रहें हैं जहाँ सत्य और न्याय जिन्दा है |
आज आपने बहुत ही सार्थक पोस्ट लिखी है। मैं हमेशा यही कहती रही हूँ कि सशक्त लोकपाल विधेयक होना चाहिए लेकिन आज आपने राष्ट्रपति के स्थान पर लोकपाल की नियुक्ति का समाधान देकर देश पर बहुत बड़ा उपकार किया है। बस इस समाधान को जनता तक ले जाने की आवश्यकता है। आपकी इस मुहीम में मैं आपके साथ हूँ और जहाँ भी अपनी बात रखूंगी इस बात की चर्चा अवश्य करूंगी।
जवाब देंहटाएंमैं भी आपसे पूरी तरह से सहमत हूँ
जवाब देंहटाएंbahut badhiya sujhav hai...aapse sahamat hun...
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