सरकार का काम पूंजीपतियों के साथ मिलकर आम जनता को गिद्ध क़ी तरह नोचना नहीं बल्कि पूंजीपतियों को गिद्ध नहीं बनने देना है ....? |
सड़ता अनाज और भूखे मरते लोग इस बात क़ी गवाह है क़ी भारत सरकार मूर्खों और निकम्मों के असंवेदनशील नेतृत्व क़ी वजह से गिद्ध बन चुकी है ...? |
जरा सोचिये आपके घर के तिजोरी में रुपया और सोना -चांदी ठसा-ठस भरा है लेकिन आपका बच्चा एक parle G बिस्किट के पेकेट और एक दिन अच्छा खाना मिले इसके लिए तरस रहा है ,आपके पास साधन है अपना स्कूल खोलकर बच्चों को पढ़ाने क़ी लेकिन आपका लोभ-लालच बच्चे को किसी स्कूल में भी नहीं भेज रहा | अगर आप ऐसे घर के मुखिया हैं तो क्या आप महामूर्ख नहीं हैं ....?
कुछ ऐसा ही हाल हमारे देश का है हमारे देश का खजाना भरा हुआ है ,लूटेरे उसे लूट रहें हैं ,गरीब जनता के ऊपर अव्यवहारिक टेक्स लगाकर उसका खून चूसा जा रहा है | विकाश के दौर में रोजमर्रा क़ी चीजें ,खाने-पीने क़ी चीजें,पेट्रोल-डीजल रसोई गैस इत्यादि क़ी चीजों के दाम आये दिन बढाकर आम लोगों को लूटा जा रहा है | बैंक मुनाफा कमा रहें हैं लेकिन आमलोगों के पास खाने और अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए पैसा नहीं है ...सरकार जनकल्याण क़ी वजाय दलाली को संरक्षण देकर मुनाफा कमा रही है ,देश विकाश कर रहा है लोगों का नैतिक और मानवीय पतन हो रहा है ,सत्य,न्याय और ईमानदारी मर रही है लेकिन देश का निर्माण हो रहा है | ऐसे तरक्की के चलते मेरा कुछ सुझाव है श्री मनमोहन सिंह जी से क़ी उनको अपनाकर इतिहास में अपने आपको महामूर्ख और निकम्मा प्रधानमंत्री के रूप में दर्ज होने से रोकें....
1 -अपने कार्यालय में एक भ्रष्टाचार निरोधक प्रकोष्ट बनाये जिसमे अन्ना हजारे जी तथा अरविन्द केजरीवाल जी जैसे समाज सेवकों को भी शामिल करें तथा देश में एक सर्वोच्च लोकायुक्त क़ी नियुक्ति क़ी प्रक्रिया को तुरंत अमल में लायें ,जिसे प्रधानमंत्री को भी सजा देने का अधिकार हो और जो देश भर से आये भ्रष्टाचार क़ी शिकायत क़ी गंभीरता से जाँच करे | प्रधानमंत्री के पद पर अगर भ्रष्ट और निकम्मा बैठा हो तो उसे सजा तुरंत मिलनी चाहिए बेशक एक आम आदमी क़ी सजा में देर हो जाय |
2 -पूरे देश के नागरिकों को लिखित में प्रधानमंत्री तक के कार्यों क़ी आलोचना निड़र होकर करने का आग्रह करें ,बिना आलोचना के तो बुद्धिमान से बुद्धिमान व्यक्ति भी महामूर्ख और निकम्मा हो जाता है |
3 -देश के ह़र गांव में प्रधानमंत्री कोष से एक इन्टरनेट से सुसज्जित जनसमस्या निवारण प्रयास केंद्र क़ी स्थापना करें जिसपे सरकार का नियंत्रण ना होकर पूरे गांव के नागरिकों का नियंत्रण हो और कोई भी उस गांव का नागरिक इस केंद्र में 10 रूपये क़ी शुल्क अदाकार अपनी शिकायत दर्ज करा सके और देश और राज्य क़ी सरकार 180 दिनों के भीतर उस शिकायत पर न्यायसंगत और तर्कसंगत कार्यवाही के लिए बाध्य हो | सभी तीन दिन पहले किये गए सरकारी कार्यों क़ी जानकारी नेट पे ह़र-हाल में पूरे देश के लोगों के लिए सुलभ कराने का प्रयास करें ,इसके लिए बेशक कितना भी पैसा क्यों ना खर्च हो ...लेकिन यह बेहद जरूरी कार्य है इस देश और समाज के असल विकाश के लिए ...आज दिल्ली जैसे शहरों में भी एक ही कार्य के लिए कई बार ठेके जारी किये जाते हैं और पैसों क़ी कागजी लूट कर ली जाती है और जमीनी स्तर पे कोई काम नहीं होता है और अगर होता भी तो घटिया दर्जे का लेकिन लोगों को उसकी लागत का पता ही नहीं होता तो आम लोग उसकी जाँच और शिकायत करें तो कैसे ...? इस केंद्र को खोलने में एक लाख रुपया प्रति गांव और इसके संचालन पर ह़र महीने 10000 रुपया खर्च आएगा लेकिन इससे सरकार का ह़र महीने अडबों का गबन रुकेगा | ये केंद्र देश के प्रधानमंत्री और राज्यों के मुख्यमंत्री के लिए लोगों के दुखों को देखने और जानने में आँख और कान की भूमिका निभाएगा बशर्ते उसे देखने और सुनने वाला उस पर कार्यवाही करने वाला बने ...?
4 -देश के प्रत्येक नागरिक को शिक्षा मिले इसके लिए देश के ह़र गांव जिसकी आवादी 10000 या उससे ज्यादा है में दो माध्यमिक विद्यालय तथा एक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ह़र-हाल में खोला जाय साथ ही देश के ह़र प्रखंड में एक तकनीकि महाविद्यालय तथा एक सामान्य महाविद्यालय भी ह़र-हाल में खोला जाय | इन विद्यालयों क़ी निगरानी करने का अधिकार उस क्षेत्र के आम नागरिकों को प्रदान किया जाय | इसके लिए स्थानीय नागरिक भी आपको दिल खोलकर सहायता देंगे | सिर्फ शिक्षा का मुर्खता भरा ढोंग रचने से लोग शिक्षित नहीं होंगे ये जमीनी उपाय बहुत जरूरी है ...
5 -गांवों में लोगों को पशुपालन,गृह तथा कुटीर उद्योग के लिए उनकी ज़मीन को गिरवी रखकर बिना किसी जटिल प्रक्रिया के 4% वार्षिक व्याज के दरपर ऋण मुहैया कराया जाय और लोगों को बैंकों में ऋण के लिए आवेदन करने को कहा जाय साथ ही तीस दिनों में ऋण नहीं मिलने क़ी सूरत में बैंक और जिले के विकाश अधिकारी को निलंबित करने तक क़ी ठोस व्यवस्था क़ी जाय ,देश के ज्यादातर विकाश अधिकारी कुछ भी नहीं कर रहें हैं और मोटी तनख्वाह ले रहे हैं तथा भ्रष्टाचार के जरिये अकूत सम्पत्ति बनाने में व्यस्त हैं | देश का विकाश होगा कैसे ...? जिनके पास ज़मीन ना हो उनको बीमा कराया हुआ गाय,भैस ,बकरी,मुर्गी इत्यादि पालन के लिए दिये जायें जिनसे उनको जीने का साधन उपलब्ध हो सके | कामयाब ग्रामीण ऋण धारक उधमियों को ऋण चुकता करते वक्त उनके उद्योग क़ी प्रगति क़ी सामाजिक जांचकर 30% अनुदान दिया जाय | ऐसा करने से किसान ऋण और मनरेगा जैसे भ्रष्टाचार को पोषण देने वाली योजनाओं क़ी कोई जरूरत ही नहीं पड़ेगी |
ये पाँच उपाय ऐसे हैं जो देश के असल विकाश को तुरंत जमीनी स्तर पर जिन्दा कर इस देश के लोगों में इंसानियत को भी जिन्दा रखने तथा ईमानदारी को अपनाने के लिए प्रेरित करेंगी | इससे देश के आम लोगों को लगेगा की सरकार वास्तव में आम लोगों क़ी हितैषी है ..|
आप सभी ब्लोगरों से आग्रह है क़ी आपलोग भी इन उपायों क़ी खामियों और खूबियों के बारे में यहाँ प्रकाश जरूर डालें ...और यह भी बताएं क़ी हमारा सुझाव मुर्खता पूर्ण है या इस देश के प्रधानमंत्री का मूर्खतापूर्ण रवैया है इस देश के प्रति | आपका विचार और सुझाव बहुत ही महत्वपूर्ण है इस पोस्ट पर ...इसलिए सोच-विचार कर अपने बहुमूल्य विचार जरूर रखें ..|
Sahi kaha hai aapne . Main to khud kahta hun ki Bharat ke Itihash main Sabse Nikkame Prim Nister sabit honge ye......
जवाब देंहटाएंhe is failed king of failed democratic nation
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