शुक्रवार, 17 सितंबर 2010

45 करोड़ क़ी ज़मीन सिर्फ 63 लाख में ,ये है सरकारी लूट का एक नमूना !!!!!!!!!!!!!



अब तो सर्वोच्च न्यायालय के इमानदार जजों का ही सहारा है इस देश और समाज को बचाने के प्रयास को

सुप्रीम कोर्ट ने सौरभ गांगुली समेत पश्चिम बंगाल के शहरी विकास मंत्रालय को भी एक मामले में नोटिस भेजकर जवाब माँगा है क़ी कथित तौर पर 45 करोड़ क़ी ज़मीन 63 लाख में ही स्कूल खोलने के लिए कैसे आवंटित कर दी गयी ...? 


हालाँकि पश्चिम बंगाल हाई कोर्ट ने इस आवंटन को मंजूरी दे दी थी लेकिन भ्रष्टाचार के खिलाप लड़ाई लड़ने वालों और पारदर्शिता को जिन्दा करने वाले लोगों के सराहनीय कोशिस क़ी वजह से ये मामला अब सर्वोच्च न्यायालय पहुंचा है | आशा करतें हैं क़ी यहाँ न्याय और सत्य क़ी विजय होगी और दोषियों को सख्त सजा मिलेगी तथा देश भर में ऐसे लूट को रोकने का एक सन्देश जायेगा |


इस मामले में शर्मनाक बात यह है क़ी इस आवंटन के लिए आये 24 आवेदनों में से आश्चर्यजनक रूप से सौरभ गांगुली के आवेदन को स्वीकार कर लिया गया था | दरअसल ऐसे लूट के मामले दिल्ली में भी कई पाये जायेंगे लेकिन उसकी ईमानदारी से कोई जाँच करे तब ...? शर्मनाक है इस देश और राज्यों के शहरी विकाश मंत्रालय में फैला भ्रष्टाचार जहाँ विकाश के नाम पर सिर्फ भ्रष्टाचार का ही विकाश हुआ है | अब तो इस मंत्रालय को बंद कर देने से ही देश और शहर का विकाश संभव है ....

शुक्रवार, 10 सितंबर 2010

मनमोहन सिंह जी कहिं ये देश और इतिहास आपको महामूर्ख और निकम्मा प्रधानमंत्री के रूप में ना दर्ज कर दे.....


सरकार का काम पूंजीपतियों  के साथ मिलकर आम जनता को गिद्ध क़ी तरह नोचना नहीं बल्कि पूंजीपतियों को गिद्ध नहीं बनने देना है ....?
सड़ता अनाज और भूखे मरते लोग इस बात क़ी गवाह है क़ी भारत सरकार मूर्खों और निकम्मों के असंवेदनशील नेतृत्व क़ी वजह से गिद्ध बन चुकी है ...?


जरा सोचिये आपके घर के तिजोरी में रुपया और सोना -चांदी ठसा-ठस भरा है लेकिन आपका बच्चा एक parle G बिस्किट के पेकेट और एक दिन अच्छा खाना मिले इसके लिए तरस रहा है ,आपके पास साधन है अपना स्कूल खोलकर बच्चों को पढ़ाने क़ी लेकिन आपका लोभ-लालच बच्चे को किसी स्कूल में भी नहीं भेज रहा | अगर आप ऐसे घर के मुखिया हैं तो क्या आप महामूर्ख नहीं हैं ....?



कुछ ऐसा ही हाल हमारे देश का है हमारे देश का खजाना भरा हुआ है ,लूटेरे उसे लूट रहें हैं ,गरीब जनता के ऊपर अव्यवहारिक टेक्स लगाकर उसका खून चूसा जा रहा है |  विकाश के दौर में रोजमर्रा क़ी चीजें ,खाने-पीने क़ी चीजें,पेट्रोल-डीजल रसोई गैस इत्यादि क़ी चीजों के दाम आये दिन बढाकर आम लोगों को लूटा जा रहा है | बैंक मुनाफा कमा रहें हैं लेकिन आमलोगों के पास खाने और अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए पैसा नहीं है ...सरकार जनकल्याण क़ी वजाय दलाली को संरक्षण देकर मुनाफा कमा रही है ,देश विकाश कर रहा है लोगों का नैतिक और मानवीय पतन हो रहा है ,सत्य,न्याय और ईमानदारी मर रही है लेकिन देश का निर्माण हो रहा है | ऐसे तरक्की के चलते मेरा कुछ सुझाव है श्री मनमोहन सिंह जी से क़ी उनको अपनाकर इतिहास में अपने आपको महामूर्ख और निकम्मा प्रधानमंत्री के रूप में दर्ज होने से रोकें....


1 -अपने कार्यालय में एक भ्रष्टाचार निरोधक प्रकोष्ट बनाये जिसमे अन्ना हजारे जी तथा अरविन्द केजरीवाल जी जैसे समाज सेवकों को भी शामिल करें तथा देश में एक सर्वोच्च लोकायुक्त क़ी नियुक्ति क़ी प्रक्रिया को तुरंत अमल में लायें ,जिसे प्रधानमंत्री को भी सजा देने का अधिकार हो और जो देश भर से आये भ्रष्टाचार क़ी शिकायत क़ी गंभीरता से जाँच करे | प्रधानमंत्री के पद पर अगर भ्रष्ट और निकम्मा बैठा हो तो उसे सजा तुरंत मिलनी चाहिए बेशक एक आम आदमी क़ी सजा में देर हो जाय |


2 -पूरे देश के नागरिकों को लिखित में प्रधानमंत्री तक के कार्यों क़ी आलोचना निड़र होकर करने का आग्रह करें ,बिना आलोचना के तो बुद्धिमान से बुद्धिमान व्यक्ति भी महामूर्ख और निकम्मा हो जाता है |


3 -देश के ह़र गांव में प्रधानमंत्री कोष से एक इन्टरनेट से सुसज्जित जनसमस्या निवारण प्रयास केंद्र क़ी स्थापना करें जिसपे सरकार का नियंत्रण ना होकर पूरे गांव के नागरिकों का नियंत्रण हो और कोई भी उस गांव का नागरिक  इस केंद्र में 10 रूपये क़ी शुल्क अदाकार अपनी शिकायत दर्ज करा सके और देश और राज्य क़ी सरकार 180 दिनों के भीतर उस शिकायत पर न्यायसंगत और तर्कसंगत कार्यवाही के लिए बाध्य हो | सभी तीन दिन पहले किये गए सरकारी कार्यों क़ी जानकारी नेट पे ह़र-हाल में पूरे देश के लोगों के लिए सुलभ कराने का प्रयास करें ,इसके लिए बेशक कितना भी पैसा क्यों ना खर्च हो ...लेकिन यह बेहद जरूरी कार्य है इस देश और समाज के असल विकाश के लिए ...आज दिल्ली जैसे शहरों में भी एक ही कार्य के लिए कई बार ठेके जारी किये जाते हैं और पैसों क़ी कागजी लूट कर ली जाती है और जमीनी स्तर पे कोई काम नहीं होता है और अगर होता भी तो घटिया दर्जे का लेकिन लोगों को उसकी लागत का पता ही नहीं होता तो आम लोग उसकी जाँच और शिकायत करें तो कैसे ...? इस केंद्र को खोलने में एक लाख रुपया प्रति गांव और इसके संचालन पर ह़र महीने 10000 रुपया खर्च आएगा लेकिन इससे सरकार का ह़र महीने अडबों का गबन रुकेगा | ये केंद्र देश के प्रधानमंत्री और राज्यों के मुख्यमंत्री के लिए लोगों के दुखों को देखने और जानने में आँख और कान की भूमिका निभाएगा बशर्ते उसे देखने और सुनने वाला उस पर कार्यवाही करने वाला बने  ...?



4 -देश के प्रत्येक नागरिक को शिक्षा मिले इसके लिए देश के ह़र गांव जिसकी आवादी 10000 या उससे ज्यादा है में दो माध्यमिक विद्यालय तथा एक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ह़र-हाल में खोला जाय साथ ही देश के ह़र प्रखंड में एक तकनीकि महाविद्यालय तथा एक सामान्य महाविद्यालय भी ह़र-हाल में खोला जाय | इन विद्यालयों क़ी निगरानी करने का अधिकार उस क्षेत्र के आम नागरिकों को प्रदान किया जाय  | इसके लिए स्थानीय नागरिक भी आपको दिल खोलकर सहायता देंगे | सिर्फ शिक्षा का मुर्खता भरा ढोंग रचने से लोग शिक्षित नहीं होंगे ये जमीनी उपाय बहुत जरूरी है ...


5 -गांवों में लोगों को पशुपालन,गृह तथा कुटीर उद्योग के लिए उनकी ज़मीन को गिरवी रखकर बिना किसी जटिल प्रक्रिया के 4% वार्षिक व्याज के दरपर ऋण मुहैया कराया जाय और लोगों को बैंकों में ऋण के लिए आवेदन करने को कहा जाय साथ ही तीस दिनों में ऋण नहीं मिलने क़ी सूरत में बैंक और जिले के विकाश अधिकारी को निलंबित करने तक क़ी ठोस व्यवस्था क़ी जाय ,देश के ज्यादातर विकाश अधिकारी कुछ भी नहीं कर रहें हैं और मोटी तनख्वाह ले रहे हैं तथा भ्रष्टाचार के जरिये अकूत सम्पत्ति बनाने में व्यस्त हैं | देश का विकाश होगा कैसे ...?  जिनके पास ज़मीन ना हो उनको बीमा कराया हुआ गाय,भैस ,बकरी,मुर्गी इत्यादि पालन के लिए दिये जायें जिनसे उनको जीने का साधन उपलब्ध हो सके | कामयाब ग्रामीण ऋण धारक उधमियों को ऋण चुकता करते वक्त उनके उद्योग क़ी प्रगति क़ी सामाजिक जांचकर 30% अनुदान दिया जाय | ऐसा करने से किसान ऋण और मनरेगा जैसे भ्रष्टाचार को पोषण देने वाली योजनाओं क़ी कोई जरूरत ही नहीं पड़ेगी |




ये पाँच उपाय ऐसे हैं जो देश के असल विकाश को तुरंत जमीनी स्तर पर जिन्दा कर इस देश के लोगों में इंसानियत को भी जिन्दा रखने तथा ईमानदारी को अपनाने के लिए प्रेरित करेंगी  | इससे देश के आम लोगों को लगेगा की सरकार वास्तव में आम लोगों क़ी हितैषी है ..|




आप सभी ब्लोगरों से आग्रह है क़ी आपलोग भी इन उपायों क़ी खामियों और खूबियों के बारे में यहाँ प्रकाश जरूर डालें ...और यह भी बताएं क़ी हमारा सुझाव मुर्खता पूर्ण है या इस देश के प्रधानमंत्री का मूर्खतापूर्ण रवैया है इस देश के प्रति | आपका विचार और सुझाव बहुत ही महत्वपूर्ण है इस पोस्ट पर ...इसलिए सोच-विचार कर अपने बहुमूल्य विचार जरूर रखें ..|





बुधवार, 8 सितंबर 2010

इस देश में राष्ट्रपति के पद को ख़त्म कर राष्ट्रपति भवन को सत्य,ईमानदारी और न्याय क़ी रक्षा का भवन बना दिया जाना चाहिए ....

इस देश में सत्य,ईमानदारी और न्याय की स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की एक बहादुर सेनानी तथा शोर्य चक्र विजेता जिसकी रहस्मय मौत की जाँच चार साल के अथक  प्रयास के बाद भी पूरी नहीं की जा सकी है ,शायद ये मौत भी सेना में फैले भ्रष्टाचार को उजागर करने के कैप्टेन सुमित कोहली के साहसिक प्रयास का नतीजा था ..?


इस देश क़ी अवस्था बहुत ही गंभीर है | इस देश में सत्य ,ईमानदारी और न्याय क़ी बड़ी ही दर्दनाक अवस्था है जिससे इंसानियत मरती जा रही है | 


इस देश का राष्ट्रपति वैसे कहने को तो इस देश का प्रमुख सेनापति है और तीनों सेना पर उसका नियंत्रण है ,लेकिन जमीनी हकीकत यह है क़ी शोर्य चक्र विजेता कैप्टेन सुमित कोहली क़ी संदेहास्पद अवस्था में मृत्यु 2006 में हुयी थी | आज चार साल से भी ज्यादा हो जाने के बाद भी कैप्टेन सुमित कोहली के पूरे परिवार तथा NDTV INDIA जैसे अन्य मिडिया के लगातार प्रयास के बाद भी इस संदेहास्पद मृत्यु की जाँच को ईमानदारी से पूरा नहीं किया जा सका है |


इससे जाहिर होता है की इस देश में सेना में भ्रष्टाचार और कुव्यवस्था का क्या हाल है | अनुशासन की जगह सेना में अनुशासन हीनता का सम्राज्य स्थापित होता जा रहा है और सर्वोच्च सेनापति को उसकी कोई चिंता ही नहीं और कड़ोरों रुपया इस सेनापति पे बहाया जा रहा है ,जिसकी शायद कोई जरूरत नहीं है |
इसलिए अब इस बहस को जन्म देने की जरूरत है की क्या राष्ट्रपति का पद इस देश के लिए जरूरी है और इस पद पर जनता के टेक्स का जो पैसा खर्च हो रहा है उसकी उपयोगिता क्या है ?


हमारे नजर में तो इस देश में राष्ट्रपति पे होने वाला खर्च वर्तमान में राष्ट्रपति के पद पर बैठे व्यक्ति की गतिविधियों और देश हित में किये गये उनके प्रयास के मद्दे नजर व्यर्थ ही नजर आता है |
इसलिए हमारे ख्याल से इस पद को समाप्त कर राष्ट्रपति भवन को पूरे देश के जनता द्वारा डाक से भेजे गये मतों द्वारा चुने गये एक सर्वोच्च लोकायुक्त के कार्यालय के रूप में बना दिया जाना चाहिए | जिसे सत्य और न्याय की रक्षा के लिए असीमित शक्ति प्रदान की जाय | इस लोकायुक्त को प्रधानमंत्री के ऊपर लगे किसी आरोप या शिकायत पर सुनवाई कर उसे सजा देने तक का अधिकार हो तथा देश का कोई भी नागरिक किसी भी IAS ,IPS और यहाँ तक की सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से सम्बंधित शिकायत को यहाँ दर्ज करा सके | देश की सभी जाँच एजेंसियां दिये गये समय में इसके निर्देशों पर जाँच को पूरी करने के लिए बाध्य हो | 



इस लोकायुक्त के सहायता के लिए बीस सदस्यों की एक टीम हो जिसमे पाँच इमानदार सेवानिवृत जज,पाँच श्री अन्ना हजारे जैसे समाज सेवक ,पाँच इमानदार नागरिक तथा पाँच सेवा निवृत श्रीमती किरण बेदी जैसे इमानदार IPS अधिकारी शामिल हो | 


अगर ऐसा किया जाय तो राष्ट्रपति भवन तथा उसपे होने वाले खर्चों की सही मायने में उपयोगिता नजर तो आएगी ही साथ-साथ सत्य,न्याय और ईमानदारी को पुनः स्थापित करने में मदद मिलेगी जिससे एक इमानदार नागरिक या एक इमानदार कैप्टेन के मां को न्याय के लिए सालों इंतजार ना करना परे और इस देश के लोगों को महसूस हो की हम एक ऐसे देश में रह रहें हैं जहाँ सत्य और न्याय जिन्दा है |

बुधवार, 1 सितंबर 2010

गुजरात सरकार का इमानदार IPS अधिकारियों के साथ ऐसा व्यवहार पूरे गुजरात और पूरी इंसानियत को शर्मसार करता है ...?

एक इमानदार पुलिस अधिकारी जिसने सत्य-न्याय को जीवित रखने के लिए सभी परेशानियाँ झेलने को तैयार होकर अन्याय और भ्रष्टाचार के सामने अपना और सत्य-न्याय का सर ऊँचा रखा | पूरा देश ऐसे व्यक्ति को हार्दिक नमन करता है और करता रहेगा |


कौन कहता है की इस देश में इमानदार लोग या इमानदार IPS नहीं हैं लेकिन इन निकम्मे नेताओं को उनका ईमानदारी भरा कार्य कभी पसंद ही नहीं आता है और ऐसे लोगों को हर तरह से परेशान करने की कोशिस की जाती है जिससे इमानदार IPS कानून की मर्यादा के लिए काम ना कर इन नेताओं के कुकर्मों को छुपाने के लिए काम  करने को मजबूर किये जाते हैं  | इनका परेशान करने का तरीका इतना भयावह है की अच्छे से अच्छा IPS अधिकारी भी थक-हारकर इनकी जी हजूरी करने लगता है  | जिससे कानून और व्यवस्था इन नेताओं के रखैल की तरह काम करने लगती है | शर्मनाक है ऐसी  हरकत ,इस तरह के नेताओं और मुख्यमंत्रियों के खिलाप इस घिनौनी हरकत के लिए सख्त कानून बनाने की जरूरत है जिससे ईमानदारी को इस तरह से हतोत्साहित करने वाले नेताओं को जेल में डाला जा सके |




अभी ईमानदारी को हतोत्साहित करने की ताजा घटना ये है की 1976 बैच के IPS अधिकारी श्री कुलदीप शर्मा को गुजरात सरकार ने 1984 के 26 साल पुराने एक मामले F .I .R दर्ज कर परेशान करने की शर्मनाक साजिश रची जिसे गुजरात हाई कोर्ट ने निरस्त कर श्री कुलदीप शर्मा को उनके ईमानदारी का इनाम दिया | लेकिन इस फैसले से नरेंद्र मोदी सरकार के व्यवस्था की काली सच्चाई उजागर हुयी और यह पता चला की एक इमानदार IPS जो सत्य-न्याय के अनुसार काम करना चाहता है उसे नरेंद्र मोदी की सरकार किस तरह से परेशान और अपमानित करती है |




गुजरात सरकार की इस  शर्मनाक हरकत का हर नागरिक को पुरजोड़  विरोध करना चाहिए | नरेंद्र मोदी जी में अब भी अगर कुछ शर्म बाकीं हो और इमानदार लोगों की सही कद्र करने की इक्षा हो तो तुरंत श्री कुलदीप शर्मा जो की एक पुलिस अधिकारी हैं को पुलिस विभाग में तुरंत वापिस लेकर उनको एक सम्माननीय जगह पदस्थापित कर अपनी शर्मनाक हरकत के लिए अफ़सोस जाहिर करे..



अगर मोदी सरकार ऐसा नहीं करती है तो श्री कुलदीप शर्मा ने अदालत में याचिका तो लगायी ही है की मोदी सरकार उससे गलत काम करवाना चाहती थी जिसके नहीं करने की वजह से उनको पुलिस विभाग से बाहर काम में लगा दिया है | श्री शर्मा के आरोप में सच्चाई और ईमानदारी की सुगंध है और इसपर जब फैसला आएगा तो मोदी की गुजरात सरकार पूरे देश में एक बार फिर शर्मसार होगी ..!

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