बिहार राज्य के एक गांव में पैदा लेकर उम्र के ६१ वें वर्ष बिताने पर जो मैंने देखा और समझा उसमे पाया की समय के वर्तमान दौर में यह गांव बहुत पीछे रह गया है ,साधन के अभाव में न तो समुचित पढाई की सुविधा मिल पाती है तथा न ही दिशा निर्देश |
विगत दो-ढाई दशक से धार्मिक आस्था के एक केंद्र को सही स्वरुप प्रदान करने के पश्चात् दूसरा कदम उसी शिक्षा व्यवस्था को ग्राम स्तर पर दुरूस्त कर उसे सही रूप में लाने का पुड्जोर प्रयास होगा जिसमे हमें HONESTY PROJECT के देश व्यापी तंत्र से सार्थक सहयोग और सहायता की आशा है साथ-साथ यह भी आश जगी है की HONESTY PROJECT के सामूहिक प्रयास से सरकारी सहायता भी उपलब्ध हो सकेगा जिससे असल जरूरतमंद को शिक्षा की समुचित सुविधा का लाभ मिल सके |
देश के सुदूर गांवों की स्थिति इससे भी बदतर है जहाँ शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने की हरहाल में जरूरत है ,उन्नत भारत के लिए सर्वाधिक आवश्यकता है लोगों को साक्षर नहीं बल्कि एक शिक्षित नागरिक बनाया जाय |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
आप अपने विचार से देश और समाज को एक नयी दिशा दे सकते हैं ...